Drs Kya Hai – डीआरएस का फुल फॉर्म क्या होता है 

Drs Kya Hai दोस्तों अपने क्रिकेट मैच के दौरान डीआरएस शब्द का बार-बार उपयोग सुना होगा और किसी भी क्रिकेट मैच में डीआरएस लेने का अधिकार दोनों टीमों के कप्तान को ही होता है तो आपके मन में कभी न कभी यह सवाल आखिर उठा ही होगा कि Drs Kya Hai आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से डीआरएस के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करने वाले हैं।

जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी का विकास करना शुरू किया वैसे वैसे क्रिकेट के ग्राउंड में भी टेक्नोलॉजी का सहारा लिया जाने लगा और उसी का एक बड़ा उदाहरण डीआरएस सिस्टम है। किसी भी लाइव मैच में डीआरएस सिस्टम की वजह से मैच का रुख किसी भी टीम की तरफ आसानी से पलट सकता है। 

और शायद इसीलिए मैच में डीआरएस सिस्टम अब बहुत ही जरूरी है तो चलिए जानते हैं कि डीआरएस का फुल फॉर्म क्या है? एवं डीआरएस क्या होता है? अगर आपको  डीआरएस से संबंधित सभी प्रकार की आवश्यक जानकारी के बारे में जानना है तो ऐसे में हमारा आज का यह महत्वपूर्ण लेख अंतिम तक पढ़ना चाहिए।

डीआरएस क्या है 

दोस्तों मैच में जब एक टीम दूसरे टीम को चुनौती दे रही होती है और तभी एंपायर के तरफ से किसी भी टीम के प्रति गलत निर्णय ले लिया जाता है और उस निर्णय से फील्ड में मौजूद टीम या फिर बैट्समैन पूरी तरीके से सहमत नहीं होता है तब उस दौरान बैट्समैन या फिर फील्डिंग कर रही टीम का कप्तान  डीआरएस ले सकता है।

चल रहे लाइव मैच में डीआरएस लेने की सुविधा दोनों ही टीमों को होता है। साधारण शब्दों में कहे तो डीआरएस लेकर आप फील्ड में मौजूद अंपायर के निर्णय को चुनौती दे सकते हो। जब दोनों ही टीमों में से कोई भी डीआरएस लेता है तब फील्ड में मौजूद अंपायर थर्ड अंपायर की सहायता लेता है और फिर थर्ड अंपायर सभी टेक्नोलॉजी की सहायता से पूरी घटना को दोबारा से रिव्यू करता है। 

और अगर ऑन फील्ड अंपायर ने निर्णय लेने में वाकई में गलती की है तो उसे थर्ड अंपायर अपने निर्णय को बदलने के लिए कहता है और अगर और फील्ड अंपायर का निर्णय थर्ड अंपायर के निर्णय से मैच कर रहा है तो डिसीजन में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया जाता है और इस प्रकार से मैच में दोनों ही टीमों को मैच में डीआरएस के जरिए अंपायर के निर्णय के प्रति असहमति का एक बेहतरीन विकल्प मिल जाता है।

डीआरएस का फुल फॉर्म

दोस्तों हमें उम्मीद है कि अब आपको समझ में आ गया होगा कि डीआरएस किसे कहते हैं तो चलिए आप डीआरएस के फुल फॉर्म के बारे में भी जान देते हैं। नीचे हमने डीआरएस का हिंदी में और इंग्लिश में फुल फॉर्म क्या है? के बारे में बताया हुआ है बस नीचे दी गई जानकारी को ध्यान से समझे।

  • डीआरएस फुल फॉर्म इन इंग्लिश – ‘Decision Review System’ होता है। 
  • डीआरएस फुल फॉर्म इन हिंदी – ‘निर्णय की समीक्षा प्रणाली’ कहां जाता है। 

डीआरएस की जरूरत क्यों

दोस्तों किसी भी मैच में अंपायर का निर्णय बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। अगर हम पर जाने या अनजाने में किसी भी टीम के प्रति अपना गलत निर्णय दे देता है तो टीम को मैच हार कर उसका भारी हर्जाना चुकाना पड़ता है। ऑन फील्ड अंपायर के गलत करने की वजह से कोई ना कोई खेल रही टीम मैच तो हारती है साथ में अंपायर को भी बाद में कई बड़ी-बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

मैच में टीमों की और दर्शकों की रुचि बनी रहे इसके लिए अंपायर कोई गलत निर्णय ना ले सकें या फिर उसके निर्णय पर खेल रही टीम अपना सवाल उठा सके इसके लिए डीआरएस सिस्टम को तैयार किया गया। डीआरएस सिस्टम की जरूरत इसीलिए हुई ताकि अंपायर के निर्णय को कोई भी टीम चुनौती दे सके और थर्ड अंपायर के जरिए अंपायर के निर्णय को देखकर सही निर्णय लेने के लिए कहा जाए।

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डीआरएस सिस्टम कैसे काम करता है

दोस्तों हमने अब तक डीआरएस के बारे में लगभग सभी प्रकार की आवश्यक जानकारी के बारे में तो जान लिया है अब चलिए आगे हम डीआरएस सिस्टम कैसे काम करता है इसके बारे में भी जान लेते हैं जिसकी जानकारी नीचे हमने पॉइंट के जरिए आप को समझाने का प्रयास किया हुआ है।

  • जब पहली पहली बार डीआरएस सिस्टम को प्रारंभ किया गया था तब सिर्फ वनडे और टेस्ट मैच में ही किसी भी टीम को डीआरएस लेने की अनुमति मिली थी। मगर कुछ समय बाद T20 फॉर्मेट में भी डीआरएस सिस्टम का यूज किया जाने लगा और आज भी इसका यूज किया जाता है।
  • डीआरएस लेने का अधिकार फील्ड में खेल रही दोनों ही टीमों को मैच के दौरान होती है।
  • अगर बैट्समैन को लगता है कि अंपायर ने उसे गलत तरीके से आउट दे दिया है या फिर उनका निर्णय बैट्समैन के हिसाब से सही नहीं है तो ऐसे में एक बैट्समैन डीआरएस का यूज करके अंपायर के निर्णय को चुनौती दे सकता है।
  • वहीं अगर फील्डिंग टीम की तरफ से कोई बॉलर या फिर किसी अन्य गतिविधि से टीम को लगता है कि बैट्समैन आउट हो चुका है तो ऐसे में फील्डिंग टीम की तरफ से जो कप्तान होगा वह डीआरएस सिस्टम का यूज़ कर सकता है।
  • डीआरएस लेने के लिए दोनों ही टीमों को 10-10 सेकंड का समय दिया जाता है और उस 10 सेकंड के अंदर कप्तान को या फिर बैट्समैन को डीआरएस का यूज कर लेना होता है और अगर 10 सेकंड से अधिक कप्तान या फिर बैट्समैन लेता है तो उसे डीआरएस सिस्टम यूज करने की अनुमति नहीं दी जाती है।
  • अगर फील्डिंग कर रही टीम की तरफ से बॉलर या फिर विकेटकीपर को लगता है कि बैट्समैन आउट हुआ है तो ऐसे में वह अपने टीम के कप्तान को डीआरएस लेने की सलाह दे सकता है और अगर कप्तान बैट्समैन एयर विकेटकीपर की सलाह से सहमत होता है तो वह डीआरएस ले सकता है।
  • अगर बैट्समैन ने या फिर ऑन फील्ड बॉलिंग कर रही टीम को लगता है कि डीआरएस लेना चाहिए और वह डीआरएस ले लेते हैं परंतु उनके द्वारा लिया गया डीआरएस अंपायर के निर्णय का सहयोग नहीं करता है मतलब निर्णय सही पाया जाता है तब डीआरएस लेने वाली टीम का डीआरएस खत्म कर दिया जाता है परंतु निर्णय वही रहेगा जो अंपायर ने लिया होगा।

डीआरएस में यूज होने वाली तकनीक की जानकारी

दोस्तों जब चल रहे मैच में से किसी भी टीम द्वारा डीआरएस सिस्टम का रिव्यु लिया जाता है तब ऑन फील्ड अंपायर को थर्ड अंपायर के पास की जांच करने के लिए डिसीजन को भेजा जाता है। तब थर्ड अंपायर कई सारे पैरामीटर और कई सारे तकनीक की सहायता से डिसीजन की जांच करता है। 

और सही  निर्णय पर पहुंचता है। तो चलिए अब हम आगे जानते हैं कि थर्ड अंपायर कौन-कौन सी तकनीक का इस्तेमाल करके डीआरएस सिस्टम की जांच करता है। जिसकी जानकारी नीचे हमने विस्तार पूर्वक से बताई हुई है।

हॉक आई तकनीक का इस्तेमाल

दोस्तों जब बॉलर बैट्समैन स्कोर बॉल डालता है और बॉल बैट को बिना छुए बैट्समैन के सीधे पैड पर लगती है और उस समय बैट्समैन विकेट के सामने पाया जाता है तब बॉलर अंपायर से विकेट की अपील कर सकता है और अगर अंपायर अपना निर्णय सही नहीं देता है और बॉलर को लगता है कि अंपायर ने गलत निर्णय लिया है। 

तो ऐसे में बॉलर अपने कप्तान की सहायता से इस विषय पर चर्चा करके डीआरएस ले सकता है फिर थर्ड अंपायर को हॉक आई तकनीक का सहारा लेना पड़ता है। इस तकनीक में यह पता चल पाता है कि बॉल विकेट को छू रही है या फिर नहीं अगर बॉल विकेट को छू रही होती है तो बैट्समैन को आउट करार दिया जाता है और अगर बॉल विकेट के अगल-बगल से होकर निकल जा रही है और बोल कर संपर्क जरा सा भी विकेट पर नहीं हो रहा है तो ऐसे में अंपायर के ओरिजिनल डिसीजन को मान्य करार दिया जाएगा।

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हॉटस्पॉट तकनीक का इस्तेमाल

ज्यादातर इस तकनीक का सहारा तब लिया जाता है जब विकेटकीपर कॉट बिहाइंड की अपील करता है। इस तकनीक के जरिए बाल और बैट्समैन के पूरे इमेज को नेगेटिव फॉर्मेट के रूप में देखा जाता है जिसमें बैटमैन और उसके अगल-बगल की सभी चीजें काली दिखाई देती है और बाल जब बैट में स्पर्श करती है या फिर जब बॉल का रियल समय में संपर्क बैट से होता है। 

तब वह एरिया सफेद आकार में पॉइंट करता है और इससे पता चलता है कि बैट का बॉल से संपर्क हुआ है या फिर नहीं अगर बॉल का संपर्क बैट से हुआ है और विकेटकीपर ने सही से कैच पकड़ा है तो बैट्समैन को आउट करार दिया जाता है और डीआरएस को दोबारा से इस्तेमाल किया जा सकता है।

स्निकोमीटर तकनीक का इस्तेमाल

इस तकनीक में गेंद की आवाज को सुनकर थर्ड अंपायर अपना फैसला सुनाता है जिससे पता चलता है कि गेंद बल्लेबाज के बैट या फिर पैड में लगी है की नहीं। अगर गेंद बल्ले या फिर पैड से लगती है तो आवाज सुनाई देती है और आवाज की मदद से फैसला लेना काफी ज्यादा आसान हो जाता है। इस तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए बैट्समैन के पीछे लगे हुए विकेट में दो माइक्रोफोन माइक लगाई जाती है और इसमें सभी प्रकार की बारीक से बारीक आवाज आसानी से रिकॉर्ड हो जाती है और इसी के जरिए थर्ड अंपायर इस तकनीक का यूज करके अपना निर्णय सुनाता है। 

डीआरएस सिस्टम के फायदे

दोस्तों चलिए अब हम डीआरएस सिस्टम के कुछ फायदों के बारे में भी जान लेते हैं जिसकी जानकारी नीचे हमने पॉइंट के माध्यम से आप को समझाने का प्रयास किया हुआ है।

  • अगर अंपायर से मैच के दौरान डिसीजन लेने में कोई गलती हो जाती है तो डीआरएस सिस्टम का यूज करके अंपायर की गलती को सुधारा जा सकता है।
  • डीआरएस का यूज करके कोई भी टीम मैच को अपने पक्ष में कर सकती है।
  • डीआरएस सिस्टम आने की वजह से अंपायर और डीआरएस लेने वाले कप्तान या फिर बैट्समैन के बीच पारदर्शिता हो पाई है।
  • डीआरएस सिस्टम की वजह से थर्ड अंपायर कई सारे पैरामीटर का यूज करके डिसीजन की जांच करता है जिससे सही डिसीजन का पता चल पाता है और खेल में टीमों की रुचि भी बनी रहती है।
  • डीआरएस सिस्टम आ जाने की वजह से कभी भी अंपायर को गलत गलत आलोचनाओं का सामना नहीं करना पड़ेगा और उसकी भूमिका भी प्रत्येक मैच में एक समान बनी रहेगी।
  • डीआरएस सिस्टम आने की वजह से खेल में कई सारी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाने लगा दी से खेल में कभी भी गलत निर्णय ना होने पाए इसकी संभावना बेहद कम हो चुकी है।

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डीआरएस सिस्टम के नुकसान

दोस्तों चलिए हम डीआरएस सिस्टम के अपने कुछ नुकसान के बारे में भी जान लेते हैं जिसकी जानकारी नहीं थी हमने पॉइंट के माध्यम से आपको समझाई हुई है।

  • डीआरएस तकनीक किसी भी अन्य तकनीक की तरह पूरी तरह से विश्वसनीय नहीं है। 
  • इस तकनीक के आने से अंपायरों के फैसलों पर भी सवाल खड़े किए जाने लगे हैं, जिनसे की उनके सम्मान में भी कमी आती है।
  • इसके अलावा ये तकनीक काफी महंगी भी साबित होती है।
  • कभी-कभी डीआरएस सिस्टम में इस्तेमाल में ली जाने वाली तकनीक निर्णय गलत देती है जिसका असर बाद में टीम मैनेजमेंट को उठाना पड़ता है।

डीआरएस क्या है? से संबंधित पूछे जाने वाले कुछ प्रश्न एवं उनके उत्तर

यहां पर हमने  Drs Kya Hai से संबंधित आप लोगों द्वारा पूछे जाने वाले कई अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर दिए हुए हैं एक बार इन प्रश्नोत्तर को भी जरूर पढ़े।

Q. क्रिकेट में डीआरएस क्या होता है?

क्रिकेट में डीआरएस का इस्तेमाल करके कोई भी टीम अंपायर के निर्णय को चुनौती दे सकती है।

Q. किसी भी मैच में डीआरएस का इस्तेमाल कितनी बार किया जा सकता है?

टेस्ट मैच में दो बार और वनडे मैच में एक बार डीआरएस का इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर डीआरएस लेने वाली टीम का निर्णय अंपायर के निर्णय को चुनौती देकर उसे गलत साबित करने में सक्षम रहता है तो ऐसे में टीम को दोबारा से डीआरएस इस्तेमाल करने का मौका मिलता है और वही अगर हम पर का निर्णय डीआरएस के मुताबिक सही होता है तो डीआरएस लेने वाली टीम को दोबारा डीआरएस नहीं मिलता है।

Q. मैच में डीआरएस लेने का अधिकार किस-किस को है?

मैच में डीआरएस लेने का अधिकार फील्डिंग टीम की तरफ से कप्तान को और बैटिंग टीम की तरफ से प्रत्येक बैट्समैन को प्रदान की जाती है।

Q. डीआरएस लेने के बाद आखिरी निर्णय किसका होता है?

डीआरएस लेने के बाद पूरा का पूरा निर्णय थर्ड अंपायर को सभी तकनीक का इस्तेमाल करके लेना होता है।

Q. डीआरएस लेने पर टीम का क्या फायदा होता है?

डीआरएस लेने पर अगर डीआरएस सही साबित होता है तो किसी भी मैच में टीम को यह मैच विनिंग मोमेंट भी बना देता है। इसके अलावा अंपायर को अनेक आलोचनाओं का भी सामना नहीं करना पड़ता है।

निष्कर्ष

हमने अपने आज के इस महत्वपूर्ण लेख में आप सभी लोगों को Drs Kya Hai के बारे में पूरी विस्तार पूर्वक से जानकारी प्रदान की हुई है। हमें उम्मीद है कि सभी क्रिकेट प्रेमियों के लिए हमारा आज का यह महत्वपूर्ण लेख काफी ज्यादा पसंद आया होगा और उनके लिए काफी उपयोगी भी साबित हुआ होगा।

अगर क्रिकेट में डीआरएस के ऊपर आधारित यह लेख अगर आपको पसंद आया हो तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ और अपने सभी सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर करना ना भूले ताकि आप जैसे ही अन्य लोगों को भी इस महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में आप के जरिए पता चल सके एवं उन्हें ऐसे ही इंटरेस्टिंग लेख को पढ़ने के लिए कहीं और भटकने की भी बिल्कुल आवश्यकता ना हो।

अगर आपके मन में हमारे आज के इस लेख से संबंधित कोई भी सवाल या फिर कोई भी सुझाव है तो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हो हम आपके द्वारा दिए गए प्रतिक्रिया का जवाब शीघ्र से शीघ्र देने का पूरा प्रयास करेंगे और हमारे इस महत्वपूर्ण लेख को अंतिम तक पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आपका कीमती समय शुभ हो।

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