MSP full form का हिंदी में क्या अर्थ है? जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं हमारा देश कृषि प्रधान देश कहलाता है। आज भी हमारे देश में आधा से ज्यादा जनसंख्या खेती किसानी करके अपना पालन पोषण करती है। इसके अतिरिक्त हमारे देश का विकास हमारे देश के किसान भाइयों पर भी काफी ज्यादा निर्भर है।
किसान भाई बहन खेती करके हम तक अनाज तो पहुंचाते ही हैं और साथ ही में खेती से उनको आमदनी भी होती है और किसानों की इस आमदनी को सरकार द्वारा एमएसपी का नाम प्रदान किया गया है। आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में एमएसपी के बारे में पूरी विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान करने वाले।
एमएसपी क्या है? एवं किसानों के लिए इसके क्या क्या लाभ है? इसके ऊपर भी आपको विस्तार से जानकारी आज के इस आर्टिकल में मिलने वाली है। कुल मिलाकर आर्टिकल आपके लिए काफी ज्यादा महत्वपूर्ण होने वाला है और इसे अंतिम तक अवश्य पढ़ें।
MSP full form highlight
आर्टिकल का विषय | MSP full form का हिंदी में क्या अर्थ है |
एमएसपी किसके द्वारा प्रदान किया जाता है | केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा |
एमएसपी किसको प्रदान किया जाता है | देश के किसानों को |
एमएसपी की फुल फॉर्म | Minimum Support Price (न्यूनतम समर्थन मूल्य) |
एमएसपी का उद्देश्य | किसानों को निर्धारित आय प्रदान करना |
एमएसपी का लाभ | फसलों के उतार-चढ़ाव में किसानों पर कोई असर नहीं पड़ेगा |
एमएसपी का आरम्भ वर्ष | 1966-67 |
एमएसपी का हिंदी में अर्थ क्या है – MSP full form in Hindi
एमएसपी का हिंदी में अर्थ ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ होता है। किसान भाई बहन फसलों की पैदावार करके और उन्हें आमदनी के लिए जब मार्केट में बेचते हैं तब सरकार की तरफ से न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी कि एमएसपी प्रत्येक फसल पर निर्धारित करके बेचने की अनुमति दी जाती है।
अर्थात जब सरकार की तरफ से गेहूं का दाम ₹14 प्रति किलो किया जाएगा तब एमएससी के अंतर्गत किसान भाई बहनों को गेहूं की फसल को बेचने की इतने रुपए की गारंटी सरकार की तरफ से दी जाती है। अगर आप गेहूं को सरकारी मंडी में या फिर किसी व्यापारी को बेचेंगे तब आपको एमएसपी के अंतर्गत निर्धारित किए गए गेहूं का दाम ₹14 प्रति किलो के हिसाब से ही प्राप्त होगा।
अगर कोई व्यापारी या फिर सरकारी मंडी में खरीददार इससे कम के दामों पर आप से गेहूं लेने के लिए जबरदस्ती करता है या फिर जोर डालता है तब ऐसे में आप किसान भाई बहनों से इसके ऊपर आवाज उठाने का भी हक सरकार की तरफ से प्रदान किया गया है और इसकी आप शिकायत भी कर सकते हैं।
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एमएसपी का इंग्लिश में फुल फॉर्म क्या है – MSP full form in English
एमएसपी का इंग्लिश में फुल फॉर्म ‘Minimum Support Price’ होता है। सरकार इस योजना के अंतर्गत फसलों का उत्पादन चाहे कम हुआ हो या फिर चाहे ज्यादा एमएसपी के अंतर्गत किसान भाई बहनों की फसलों पर एक निर्धारित मूल्य प्रदान करती है। एमएसपी का कोई भी नुकसान किसान भाइयों को नहीं होता बल्कि इसका फायदा ही होता है।
एमएसपी को तय कौन करता है – MSP decided procedure in Hindi
हमारे देश के कृषि एवं कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत संलग्न कार्यालय सीएसीपी यानी कि कृषि आयोग एवं मूल लागत विभाग के जरिए देशभर में एमएसपी को तय किया जाता है। जनवरी वर्ष 1965 में कृषि आयोग एवं मूल्य लागत विभाग का गठन किया गया था। लगभग 23 फसलों का एमएसपी देश में
सीएसीपी द्वारा तय किया जाता है और वही गन्ना पर एमएसपी गन्ना आयोग के द्वारा तय किया जाता है। सीएसीपी फसलों के प्रति वर्ष लागत के अनुसार लगने वाले खर्चों का आकलन करती है और उसके बाद इसका परिणाम सरकार को एक रिपोर्ट के रूप में तैयार करके भेजती है।
फिर सरकार सीएसीपी के द्वारा भेजे गए रिपोर्ट को सबसे पहले अच्छे से एनालाइज करती है और फिर उसके बाद प्रतिवर्ष रवि और खरीफ की फसलों की बुवाई से पहले उसकी एमएसपी निर्धारित कर देती है। एमएसपी निर्धारित हो जाने के बाद सभी सरकारी एजेंसियां किसानों से एमएसपी द्वारा निर्धारित किए गए मूल्य पर अनाज को खरीदती है और फिर सरकार इन खरीदे गए अनाजों का एफसीआई और नैफेड के सरकारी स्टोर पर अनाज को स्टोर करती है।
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर सरकार इतने सारे अनाज को हर वर्ष किसानों से खरीद कर क्या करती है? तो दोस्तों हम आपको बता दें कि स्टोर किए गए अनाज को सरकार पीडीएस प्रणाली यानी कि सरकारी कोटा के अंतर्गत हर महीने राशन कार्ड धारकों को सरकारी मूल्यों पर राशन वितरण किया जाता है। इसके अतिरिक्त अनाजों के बढ़ते मूल्यों पर भी सरकार लगाम लगाना चाहती है।
एमएसपी के प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं – Determined MSP in Hindi
अब चलिए हम सबसे पहले एमएसपी के प्रमुख कारक को समझते हैं जो इस प्रकार से नीचे निम्नलिखित है।
- उत्पादन का मुल्य
- आतंरिक मुल्यों में होने वाले बदलाव
- आतंरिक एवं बाहरी मुल्यों के बीच की समानता
- फसलों के बाजारी मुल्यों का अवलोकन
- खपत और आपूर्ति
- कई फसलों के मुल्यों की समानता
- औद्योगिक मुल्य संरचना का प्रभाव
- रहन-सहन के मुल्यों पर होने वाले प्रभाव
- मुल्यों की अंतराष्ट्रीय परिस्थिति
- अदा किये गए मुल्य एवं किसानों द्वारा पाए गए मुल्य के बीच की समानता
- जारी किये गए कीमत एवं सब्सिडी के ऊपर प्रभाव
एमएसपी से जुड़े हुए प्रमुख पांच मुद्दे
न्यूनतम समर्थन मूल्य के संबंधित कुछ पांच मुद्दे इस प्रकार से निम्नलिखित है।
- पहला न्यूनतम समर्थन मूल्य की अवधारणा ने बाजार को विकृत कर दिया है यह धान और गेहूं के लिए एक प्रभावी है और अन्य फसलों के लिए केवल संकेत है।
- दूसरा एमएसपी विभिन्न वर्गों के बीच अंतर नहीं करता है यह सिर्फ एक औसत उच्च गुणवत्ता को संदर्भित करता है।
- तीसरा एमएसपी धान और गेहूं के लिए खरीदी तय की गई है जो सीधे पीएचडी से संबंधित है यह एक व्यवस्था अच्छी तरह से काम करती है लेकिन यह कुछ ही फसलों तक सीमित है
- चौथा MSP को किसी न किसी फसल का भंडारण करना ही पड़ता है इसे उपभोक्ताओं के लिए पूरे वर्ष उपलब्ध नहीं किया जा सकता।
- पांचवा कृषि उत्पादों के लिए हमारी व्यापार नीति भी विकृत है जिसे जब अन्य के निर्यात पर प्रबंधन लगा रहता है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली के फायदे
न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित हो जाने के बाद किसानों को काफी सारा फायदा होने वाला है और वे फायदे क्या होंगे इसकी जानकारी नीचे निम्नलिखित है।
- Minimum Support Price के माध्यम से किसानों की फसलों का दाम नहीं करता है।
- यदि बाजारों में किसानों की फसलों का दाम गिर जाता है तब भी उन्हें एक निर्धारित एमएसपी प्रदान की जाती है।
- एमएसपी के माध्यम से किसानों की आय में वृद्धि होती है।
- किसानों को एमएसपी प्राप्त करने की तसल्ली रहती है।
- सरकार द्वारा उन्हें तय की गई एमएसपी समय पर प्राप्त होती है।
- MSP के माध्यम से अन्नदाताऔं का नुकसान कम होता है।
निष्कर्ष:-
आज के अपने इस महत्वपूर्ण आर्टिकल में हमने आप सभी लोगों को MSP full form संबंधित हमने आप सभी लोगों को महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान कर दी है। हमें उम्मीद है कि हमारे द्वारा दी गई आज की यह जानकारी आपके लिए काफी हेल्पफुल रही होगी। अगर आपके मन में आज के इस आर्टिकल से संबंधित कोई भी सवाल या फिर सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में बताएं। आज के इस लेट को आप अपने दोस्तों के साथ और अपने सभी सोशल मीडिया पर शेयर करना ना भूले।