Bhasha Kise Kahate Hain – भाषा की परिभाषा क्या है

दोस्तों हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण अध्याय Bhasha Kise Kahate Hain के बारे में हर कोई जानना चाहता है। भाषा की परिभाषा क्या होती है? इसका जवाब आज आपको हमारे इस महत्वपूर्ण लेख में मिलने वाला है और साथ ही में आप हमारे आज के इस लेख में जानेंगे कि भाषा कितने प्रकार की होती है?, भाषा की उत्पत्ति कैसे हुई? आदि के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करने वाले है। 

भाषा के बारे में पूरी विस्तृत जानकारी जानने हेतु आज आपको हमारा यह महत्वपूर्ण लेख अंतिम तक पढ़ना चाहिए क्योंकि हम आपको अपने इस लेख में भाषा की परिभाषा बिल्कुल आसान शब्दों में समझाएंगे ताकि आपको लैंग्वेज की डेफिनेशन आसानी से याद हो सके और अपने परीक्षा में इसकी डेफिनेशन आसानी से लिख सको तो चलिए आज के इस लेख में आगे की ओर बढ़ते हैं और भाषा के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं।

व्याकरण किसे कहते हैं

व्याकरण जिसे अंग्रेजी भाषा में ग्रामर कहते हैं इसके बारे में जानना बेहद जरूरी है। व्याकरण वह जरिया है जिसके जरिए आप किसी भी भाषा को लिखना, पढ़ना और बोलना सीखते हैं। अलग-अलग भाषाओं के हिसाब से अलग-अलग व्याकरण होता है। 

अगर आप किसी भी भाषा का व्याकरण ज्ञान प्राप्त कर लेते हो तो आपको उस भाषा को शुद्ध तरीके से लिखने, पढ़ने और भाषा को समझने का ज्ञान प्राप्त हो जाता है। व्याकरण बहुत ही महत्वपूर्ण माध्य में किसी भी भाषा को सीखने के लिए। 

अगर आपने किसी भी भाषा का व्याकरण ज्ञान प्राप्त नहीं किया तो आप उस भाषा को ना ही लिख सकोगे, ना ही बोल सकोगे और ना ही भाषा को समझ सकोगे इसीलिए किसी भी भाषा का व्याकरण ज्ञान प्राप्त करना बेहद अनिवार्य है।

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भाषा की डेफिनेशन क्या है – Bhasha Kise Kahate Hain

भाषा वह माध्यम है जिसके जरिए आप किसी भी व्यक्ति या विशेष के भावना को बोलकर, लिखकर, पढ़कर या फिर संकेतिक तरीके से एक दूसरे से आदान प्रदान करता है। अगर भाषा ना हो तो आप किसी की भी भावना को या फिर उसके शब्दों को आसानी से समझ नहीं सकते। उदाहरण के रूप में आप हादसा का परिभाषा इस प्रकार से समझ सकते हो। 

आप एक ऐसे देश के नागरिक हो जहां पर ज्यादातर हिंदी भाषा बोली जाती है, लिखी जाती है और पढ़ी जाती है परंतु आप अगर नौकरी प्राप्त करने के लिए या फिर किसी अन्य कारण से किसी अंग्रेजी देश में जाते हो और आपको अंग्रेजी भाषा का ज्ञान नहीं होता है। 

तो आप सामने वाले की भावनाओं को या फिर सामने वाले के शब्दों को नहीं समझ सकते हो और ना ही पढ़ सकते हो। इसीलिए किसी भी व्यक्ति के भावना को समझने के लिए, पढ़ने के लिए, बोलने के लिए भाषा का निर्माण किया गया। अब किसी भी भाषा का ज्ञान प्राप्त कर के किसी भी व्यक्ति का हाव-भाव आसानी से समझ सकते हो।

भाषा की उत्पत्ति कैसे हुई

भाषा की उत्पत्ति या फिर भाषा का जनक संस्कृत भाषा को कहा जाता है। जब मनुष्य ने बोलना और एक दूसरे के हावभाव को समझना शुरू किया तब उस समय भाषा की जरूरत पड़ी और तब मनुष्य ने अपने आवश्यकतानुसार अपने अगल-बगल के वातावरण एवं अपने सभ्यता के अनुसार अलग-अलग भाषाओं का निर्माण किया। किसी भी भाषा की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के माध्यम से ही हो सकी है। आपको जानकर यह हैरानी होगी कि अंग्रेजी भाषा की व्युत्पत्ति संस्कृत भाषा से हुई थी। संस्कृत भाषा को सबसे पौराणिक भाषा कहा जाता है और इसके बाद ही कई अन्य भाषाओं का जन्म हुआ इसीलिए संस्कृत भाषा को सभी भाषाओं का जनक कहा जाता है।

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भाषा के सिद्धांत क्या है

अब चलिए हम लोग भाषा के सिद्धांत के बारे में जान लेते हैं जिसकी जानकारी नहीं थी हमने पॉइंट के माध्यम से आप को समझाने का प्रयास किया है।

  • संस्कृत भाषा को दैवीय भाषा कहा जाता है। संस्कृत भाषा सभी भाषाओं से सबसे ज्यादा पौराणिक और प्राचीन काल की भाषा है और इसीलिए संस्कृत भाषा को सभी भाषाओं का जनक कहा जाता है।
  • अनुकरण सिद्धांत के माध्यम से मनुष्य अपने अगल बगल की वस्तुओं का अनुकरण करके उसके नए शब्दों की उत्पत्ति की, इसलिए इसे अनुकरण सिद्धांत कहा जाता है।
  • संगीत सिद्धांत के अंतर्गत संगीत के क्षेत्र में प्रयोग किए जाने वाले शब्दों की रचना की गई और इनके लिए नए नए शब्दों का निर्माण किया गया।
  • विकासात्मक सिद्धांत के अनुसार विभिन्न कालों में विभिन्न भाषाओं का विकास होता रहता है।

भाषा कितने प्रकार की होती है  

अब चली आकर हम लोग भाषा के प्रकार के बारे में जान लेते हैं कि भाषा कितने प्रकार की होती है। भाषा मुख्यतः तीन प्रकार की होती है और उन सभी तीन प्रकार की भाषाओं का विस्तार पूर्वक है व्याख्यान नीचे दिया गया है आप एक बार नीचे भाषा के प्रकार के बारे में ध्यान से जरूर पढ़ें तभी आपको या विषय आसानी से स्पष्ट हो सकेगा।

मौखिक भाषा

मौखिक भाषा का वह प्रकार है जिसके जरिए कोई भी व्यक्ति बोल कर अपने भावना को या फिर अपने शब्दों को दूसरे व्यक्ति को समझाता है। दूसरा व्यक्ति पहले व्यक्ति द्वारा बोले गए शब्दों को समझ कर उसकी भावना को आसानी से समझ सकता है। इसमें वक्ता बोलता है और श्रोता सुनकर बातों को समझता है।

मौखिक भाषा के उदाहरण – जुबिन नौटियाल गाना गाता है, नरेंद्र मोदी भाषण दे रहे हैं।

लिखित भाषा

जो व्यक्ति अपनी भावनाओं को या फिर अपने विचारों को लिखकर दूसरों के सामने प्रस्तुत करता है उसे लिखित भाषा कहते हैं। इस प्रकार की भाषा में लिखने वाला व्यक्ति अपनी भावना या विचार को लिखता है और दूसरा व्यक्ति उसके विचारों एवं भावना को समझने के लिए उसके द्वारा लिखे गए शब्दों को पड़ता है। लिखित भाषा को समझने के लिए या फिर इसके जरिए अन्य लोगों तक अपने विचार या भावनाओं को पहुंचाने के लिए दोनों ही पक्षों को पढ़ा लिखा होना बेहद अनिवार्य है। मौखिक भाषा में पढ़ा लिखा होना अनिवार्य नहीं है।

लिखित भाषा के उदाहरण –  अभिषेक मौर्य आर्टिकल लिख रहा है, सीमा झाड़ू पोछा कर रही है  

सांकेतिक भाषा

सांकेतिक भाषा भाषा का वह माध्यमिक के जरिए कोई भी व्यक्ति अपने विचारों या फिर भावनाओं को बिना किसी को कहे या फिर लिखित रूप में बयान किए इशारों के माध्यम से किसी व्यक्ति या विशेष को व्यक्त करता है तो उसे आप सांकेतिक भाषा कहते हैं। सांकेतिक भाषा का प्रयोग ज्यादातर वही लोग करते हैं जो बोल या फिर सुन नहीं सकते हैं। ट्रैफिक नियमों का पालन करना भी संकेतिक भाषा के अंतर्गत ही आता है। सांकेतिक भाषा सर्वग्राह्य भाषा नहीं है इसलिए व्याकरण में इसका अध्ययन नहीं किया जाता।

बोली और भाषा में क्या अंतर है

अब चलिए हम लोग बोली और भाषा में अंतर को समझ लेते हैं। कई सारे लोग बोली और भाषा को एक ही थाली के चट्टे बट्टे समझते हैं परंतु ऐसा बिल्कुल भी नहीं है बोली अलग होती है और भाषा अलग होती है जिससे व्याख्यान वित्त करने के लिए नीचे हमने पॉइंट का सहारा लिया है बोली और भाषा में अंतर को समझने के लिए नीचे पॉइंट को ध्यान से पढ़े और समझे।

  • भाषा में व्याकरण होता है परंतु बोली में कोई भी व्याकरण नहीं होता है।
  • भाषा लिपि होती है परंतु बोली लिपि नहीं होती है।
  • भाषा विकास की प्रक्रिया का उत्तम रूप माना जाता है जबकि बोली को किसी भी भाषा के विकास की प्रारंभिक क्रिया केवल एक क्रिया मानी जाती है।
  • भाषा विस्तृत होती है परंतु बोली क्षेत्रीय।
  • भाषा का क्षेत्र विस्तृत और व्यापक रूप से होता है परंतु बोली सीमित होती है।
  • भाषा लिखित और मौखिक दोनों रूप में पाई जाती है परंतु बोली सिर्फ मौखिक रूप में ही पाई जाती है।
  • भाषा में साहित्यिक रचना अत्यधिक होती है परंतु बोली में साहित्यिक रचना बहुत ही नाम मात्र की होती है।
  • भाषा का प्रयोग राज्य कार्य में किया जा सकता है परंतु वही बोली का प्रयोग किसी भी प्रकार के  राज्य कार्य में नहीं किया जा सकता केवल एक क्षेत्रीय लोगों के बीच किसी भी प्रकार की बोली बोली जा सकती है।
  • भाषा का उदाहरण  अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू, पारसी है और वही बोली का उदाहरण, भोजपुरी, मालवी, बुंदेली और आसामी है।

भाषा किसे कहते हैं? से संबंधित पूछे जाने वाले कुछ प्रश्न एवं उनके उत्तर

यहां पर हमने उन प्रश्नों का उत्तर दिया है जो आप में से कई सारे लोग भाषा किसे कहते हैं? से संबंधित पूछते रहते हैं तो कृपया करके आप यहां पर दिए गए प्रश्नोत्तर को जरूर पढ़ें।

Q. भाषा के कितने भेद होते हैं?

मुख्यतः भाषा के दो भेद होते हैं पहला लिखित और दूसरा मौखिक होता है।

Q. हिंदी भाषा का जनक किसे कहा जाता है?

हिंदी भाषा का जनक भारतेंदु हरिश्चंद्र को कहा जाता है।

Q. संस्कृत भाषा के जनक कौन थे?

संस्कृत भाषा का जनक पाणिनि को कहा जाता है।

Q. आधुनिक भाषा का जनक किसे कहा जाता है?

आधुनिक भाषा के भी जनक भारतेंदु जी को ही कहा जाता है।

Q. हिंदी दिवस कब मनाया जाता है?

प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है।

निष्कर्ष

आज हमने अपने इस महत्वपूर्ण लेख के माध्यम से आप सभी लोगों को Bhasha Kise Kahate Hain के बारे में विस्तार पूर्वक पर जानकारी प्रदान की हुई है और हमें उम्मीद है कि भाषा की परिभाषा क्या होती है? के बारे में प्रस्तुत किया क्या आज का हमारा यह विस्तृत लेख आपको पसंद आया होगा और आप इस विषय को आसानी से समझ में गए होंगे।

अगर आपको हमारा आज का यह लेख आसानी से समझ में आ गया हो तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ और अपने सभी सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर करना ना भूले ताकि अन्य लोगों को भी इस महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में आप के जरिए से पता चल सके एवं उन्हें भाषा के बारे में जानकारी जानने हेतु कहीं और भटकने की बिल्कुल भी आवश्यकता ना हो।

अगर आपके मन में हमारे आज के इस लेख से संबंधित कोई भी सवाल या फिर कोई भी सुझाव है तो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हो हम आपके द्वारा दिए गए प्रतिक्रिया का जवाब शीघ्र से शीघ्र देने का पूरा प्रयास करेंगे और हमारे इस महत्वपूर्ण लेख को शुरू से अंतिम तक पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आपका कीमती समय शुभ हो।

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