Transistor in Hindi – ट्रांजिस्टर का आविष्कार किसने किया

Transistor in Hindi अपने अर्धचालक पदार्थों के बारे में सुना होगा यह कुछ खास किस्म के पदार्थ होते है जो नाही बिजली को पूरी तरह से पास होने देते है और ना ही वह बिजली की तरंगों को पूरी तरह से रोक पाते है। ऐसी ही अर्धचालक पदार्थों से बनता है ट्रांजिस्टर जो दिखने में बहुत ही छोटा होता है मगर इसने विद्युत और इंटरनेट की दुनिया में क्रांति लाने का कार्य किया है। 

Transistor in Hindi के इस लेख में हम आपको ट्रांजिस्टर के बारे में पूरी जानकारी देंगे। आपने कभी कुछ विद्युत सामग्री को खोला होगा तो सर्किट में ट्रांजिस्टर जरूर देखा होगा। क्या आपको पता है ट्रांजिस्टर का आविष्कार किसने किया, कब किया, ट्रांजिस्टर किस काम आता है। 

हम इस transistor in Hindi के लेख में ट्रांजिस्टर से जुड़ी सभी बातों को ध्यान से समझेंगे। तो इस लेख के साथ अंत तक बनी रहे। 

ट्रांजिस्टर क्या है

ट्रांजिस्टर एक अर्धचालक युक्त छोटा सा विद्युत उपकरण है जिसका मुख्यतः इस्तेमाल एंपलीफायर की तरह किया जाता है मगर बहुत सारे सर्किट में हम इसे मॉड्यूलेटआर, रेगुलेटर और स्विच की तरह भी इस्तेमाल करते हैं। 

आम भाषा में अगर हम बात करें तो ट्रांजिस्टर की मदद से विद्युत शक्ति को सिग्नल में बदलते है, यही वह उपकरण है जिसकी मदद से हम मोबाइल और कंप्यूटर को इतनी तेजी से चला पाते है कहने को यह एक छोटा सा विद्युत उपकरण है मगर इसका इस्तेमाल आज के आधुनिक दुनिया में बड़े पैमाने पर किया जाता है हम एक इलेक्ट्रिक सर्किट की कल्पना बिना ट्रांजिस्टर के नहीं कर सकते हैं। 

सर्किट को बंद चालू करने के लिए या फिर विद्युत शक्ति को सिग्नल में बदलने के लिए या फिर सिग्नल को ज्यादा या कम करने के लिए जिस उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है वह ट्रांजिस्टर है। 

ट्रांजिस्टर का आविष्कार किसने किया

अब आप यह समझ गए होंगे कि किस तरह से इस आविष्कार ने विद्युत जगत में क्रांति लाने का कार्य किया। सबसे पहले 1925 में एक जर्मन भौतिकी वैज्ञानिक Julius Edgar Lilienfeld ने कनाडा में field effect transistor के अविष्कार की प्रार्थना पत्र दायर किया, मगर सबूतों के अभाव के कारण इनके प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया।

आगे चलके 1947 में जॉन बार्डेन और उनकी टीम ने बेल की प्रयोगशाला में इस बात को साबित किया कि उन्होंने ट्रांजिस्टर का आविष्कार किया है। उस बेल के प्रयोगशाला में John Bardeen, Walter Brattain और William Shockley इस बात को पूरी तरह सबूतों के साथ साबित किया कि ट्रांजिस्टर के सिद्धांत और इस उपकरण के अविष्कारक उनकी टीम है। 

अंततः हम आज के दिन जानते है कि 1947 में जॉन बार्डेन और उनकी टीम ने बेल की प्रयोगशाला में ट्रांजिस्टर उपकरण का आविष्कार किया। 

Transistor कैसे काम करता है

Transistor का इस्तेमाल हम अपने रोजमर्रा के जीवन में करते हैं और इस वजह से हमें यह जानना चाहिए कि ट्रांसिस्टर उपकरण किस तरह से काम करता है। ट्रांसिस्टर का खास तौर पर इस्तेमाल विद्युत तरंगों को एम्प्लीफाई करने के लिए या स्विच करने के लिए किया जाता है, इसके लिए ट्रांजिस्टर के अलग-अलग प्रकार का इस्तेमाल किया जाता है। 

आप यह जान गए होंगे कि ट्रांसिस्टर के अलग-अलग प्रकार होते है मगर हम आपको बता दें कि ट्रांसिस्टर के हर प्रकार में तीन शिरे होते है जिसे टर्मिनल कहा जाता है हर ट्रांसिस्टर में कुल तीन शिरे या टर्मिनल होते है जिसे इमेटर, बेस और कलेक्टर कहा जाता हैं। 

कलेक्टर वह सिरा होता है जहां से विद्युत धारा को ट्रांजिस्टर अपने अंदर लेता है फिर एमिटर और बेस दो सिरे होते है जहां से विद्युत धारा को बाहर निकाला जाता है हर सिरे से विद्युत धारा के निकलने पर ट्रांजिस्टर अलग तरीके से व्यवहार करता है और हम ट्रांजिस्टर का अलग-अलग इस्तेमाल कर पाते हैं। 

इस उपकरण से विद्युत धारा में मौजूद इलेक्ट्रॉन की हानि नहीं होती है और हम ट्रांसिस्टर को स्विच और एंपलीफायर की तरह इस्तेमाल कर पाते हैं। 

जावर ट्रांजिस्टर में मौजूद विद्युत धारा अलग-अलग शिरो से  प्रवाहित होती है तब हम ट्रांसिस्टर को अलग-अलग श्रेणी में बांट देते हैं जैसे – NPN Transistor और PNP Transistor

ट्रांजिस्टर के प्रकार

जैसा कि हम जानते हैं ट्रांजिस्टर के आविष्कार ने विद्युत जगत में क्रांति लाने का कार्य किया आज ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल हम लगभग हर विद्युत उपकरण में कर रहे हैं इसके इतने बड़े आविष्कार और इसके महत्व को देखते हुए ट्रांजिस्टर को समझने के लिए अलग-अलग तरह के प्रकार में बांटा गया। 

ट्रांजिस्टर अर्धचालक से बना होता है अर्थात जिस पदार्थ से ट्रांजिस्टर बनता है वह ना तो इलेक्ट्रॉन को पूरी तरह से प्रवाहित होने देता है और ना ही पूरी तरह से रोक पाता है इस बात को समझते हुए 3 सिरे बनाए जाते हैं उनके बारे में ऊपर बताया गया है।

ट्रांजिस्टर के सिरे या टर्मिनल किस तरह से कार्य कर रहे हैं उस बिनाह पर हम ट्रांजिस्टर को दो भाग में विभाजित करते हैं – BJT और FET

ट्रांजिस्टर को दो भाग में बांटा जाता है

1. BJT (BIPOLAR JUNCTION TRANSISTOR) 

इस तरह के ट्रांजिस्टर में इलेक्ट्रॉन और इलेक्ट्रॉन होला दोनों ही विद्युत चार्ज को एक जगह से दूसरी जगह प्रवाहित होने में मदद करते हैं। इसका इस्तेमाल डिमुलेटर, एमुलेटर, एंपलीफायर के तौर पर किया जाता है। 

बीजेटी ट्रांसिस्टर के दो प्रकार होते हैं 

  • NPN transistor

जब दो N प्रकार के पदार्थ के बीच एक P प्रकार का पदार्थ लगाया जाता है तो हम इसे NPN ट्रांजिस्टर कहते हैं। 

  • PNP Transistor

जब दो P प्रकार के पदार्थ के बीच एक N प्रकार के पदार्थ को लगाया जाता है और ट्रांजिस्टर बनाया जाता है तो इसे PNP ट्रांजिस्टर कहते हैं। 

2. FET (FIELD EFFECT TRANSISTOR)

जिस तरह बीजेटी ट्रांसिस्टर मैं कलेक्टर, इमिटर, और बेस के जरिए विद्युत धारा का प्रवाह होता है उसी तरह इस FET ट्रांसिस्टर में गेट, ड्रेन, और सोर्स के जरिए विद्युत धारा का प्रवाह अन होता है। इस ट्रांजिस्टर के दो प्रकार होते हैं। 

  • JFET

इस ट्रांजिस्टर का मुख्य तौर पर इस्तेमाल एंपलीफायर और स्विच की ही तरह किया जाता है मगर इस ट्रांसिस्टर में हमें वोल्टेज को कंट्रोल करने का लाभ मिलता है। 

  • MOSFET

ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल भी मुख्य तौर पर एंपलीफायर स्विच की ही तरह किया जाता है मगर इस ट्रांजिस्टर में हमें फ्रीक्वेंसी को काबू करने का लाभ मिलता है। 

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ट्रांजिस्टर के फायदे

अगर आप ट्रांजिस्टर के बारे में पूरी जानकारी ले चुके हैं तो अब आपको यह पता होना चाहिए कि ट्रांजिस्टर के क्या-क्या फायदे होते हैं उन बातों को नीचे ध्यान से पढ़े। 

  • ट्रांजिस्टर का ज्यादातर इस्तेमाल हम इनवर्टर में करते है जिसमें लाइट कटने पर बैटरी की ओर विद्युत धारा को स्विच करने के लिए करते हैं। 
  • ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल हम बहुत सारे डिजिटल उपकरणों में करते हैं। 
  • ट्रांजिस्टर का प्रयोग कमजोर सिग्नल को एप्लीफाई करने के लिए करते है। 

Transistor के नुकसान

ट्रांजिस्टर बहुत ही उपयोगी है मगर इस दुनिया में मौजूद हर चीज एक दो धारी तलवार की तरह है इसके बहुत ज्यादा उपयोग और फायदे के साथ-साथ कुछ नुकसान भी है जिनके बारे में हमने नीचे बताया है। 

  • ट्रांजिस्टर बहुत छोटा और कमजोर होता है किसी भी विद्युत या थर्मल घटना से टूट जाता है। 
  • ट्रांजिस्टर की सबसे बड़ी कमी यह है कि इसमें उच्च इलेक्ट्रॉन गतिशील की कमी होती है। 
  • ट्रांजिस्टर की एक और कमी यह है कि यह बड़ी ही आसानी से रेडिएशन से प्रभावित हो जाता है। 

FAQ About Transistor in Hindi

Q: ट्रांजिस्टर किस चीज से बना होता है?

ANS ट्रांसिस्टर अर्धचालक पदार्थ से बना होता है जिसमे खासतौर पर जरमेनियम का इस्तेमाल किया जाता है।

Q: ट्रांजिस्टर का आविष्कार किसने किया?

ANS 1947 में जॉन बर्नाड और उनकी टीम ने बेल की प्रयोगशाला में ट्रांजिस्टर का आविष्कार किया।

Q: ट्रांजिस्टर के कितने प्रकार होते हैं?

ANS Transistor के दो प्रकार होते हैं 
1. बाइपोलर जंक्शन ट्रांसिस्टर (BJT)
2. फील्ड इफैक्ट ट्रांजिस्टर (FET)

Q: ट्रांसिस्टर का इस्तेमाल क्यों किया जाता है?

ANS ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल हम कमजोर तरंगों को एम्प्लीफाई करने के लिए, इलेक्ट्रिक करंट में स्विच की तरह और कई जगहों पर ओसिलेटर की तरह करते हैं। 

निष्कर्ष

अगर आपने इस लेख को अंत तक पढ़ा है तो हम उम्मीद करते है कि आप यह समझ गए होंगे कि ट्रांजिस्टर क्या है, इसका उपयोग कैसे करते है, ट्रांजिस्टर कैसे बनता है, और अंततः Transistor in Hindi के इस लेख में ट्रांजिस्टर से जुड़ी सभी सवालों के जवाब आपके पास आ गए होंगे। 

अगर आपको ट्रांजिस्टर इन हिंदी के इस लेख से ट्रांजिस्टर के बारे में संपूर्ण ज्ञान मिला है तो इसलिए को अपने मित्रों के साथ साझा करें और अपने विचार रखा में बताना ना भूले। 

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