Transformer in Hindi – ट्रांसफार्मर कैसे बनाया जाता है

दोस्तो आप ने ट्रांसफार्मर का नाम को जरूर ही सुना होगा परंतु क्या आपको पता है कि ट्रांसफार्मर क्या होता है? (Transformer In Hindi) अगर आपको ट्रांसफार्मर के बारे में सभी प्रकार की आवश्यक जानकारी के बारे में बिल्कुल भी पता नहीं है तो कोई बात नहीं है।

आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से ट्रांसफार्मर से संबंधित लगभग सभी प्रकार की आवश्यक जानकारी के बारे में बताएंगे जैसे ही ट्रांसफार्मर का आविष्कार किसने किया?, ट्रांसफार्मर का क्या इतिहास है? और इतना ही नहीं ट्रांसफार्मर को इस्तेमाल करते वक्त कुछ टिप्स के बारे में भी हम अपने इस लेख में विस्तारपूर्वक से आप सभी लोगों को जानकारी देने का पूरा प्रयास करेंगे।

अगर आपको इन सभी आवश्यक जानकारी के बारे में जानना है तब आपको लेख में दी गई जानकारी को बिल्कुल भी मिस नहीं करना है और सभी जानकारी को ध्यानपूर्वक से शुरू से अंतिम तक पढ़ना है।

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ट्रांसफार्मर क्या है 

transformer

ट्रांसफार्मर एक विद्युत यंत्र है जिसका इस्तमाल हम सर्किट में फ्रीक्वेंसी और पावर को बिना घटाए वोल्टेज को बढ़ाने और घटाने के लिए करते है। आपको बता दें की ट्रांसफार्मर के इस्तमाल से ही हम आज बिचली को इतनी आसानी से सभी घरों में पहुंचा पा रहें हैं। 

सरल भाषा में ट्रांसफार्मर एक बिजली से चलने वाला यंत्र है जिसका इस्तेमाल एक सर्किट से दूसरे सर्किट में वोल्टेज की मात्रा को बढ़ाने या घटाने के लिए किया जाता है किसी सर्किट में ट्रांसफार्मर की मदद से हम वोल्टेज को बढ़ाते है तो फ्रीक्वेंसी और पावर पर कोई फर्क नहीं पड़ता। अर्थात यह एक खास किस्म का यंत्र है जो बिना फ्रीक्वेंसी और पावर के साथ कोई छेड़छाड़ की है वोल्टेज को बढ़ाने और घटाने का कार्य करता हैं। 

ट्रांसफार्मर में दो वाइंडिंग होते है पहले वाइंडिंग में जब बिजली आती है तो उसे मैग्नेटिक एनर्जी में बदल दिया जाता है और दूसरे वाइंडिंग में भेज दिया जाता है दूसरे वाइंडिंग में मैग्नेटिक एनर्जी को दोबारा इलेक्ट्रिक एनर्जी में बदल दिया जाता है इस प्रक्रिया में वोल्टेज स्टेप अप और स्टेप डाउन होता है मगर करंट की मात्रा, फ्रीक्वेंसी और पावर में कोई फर्क नहीं आता जिससे हम करंट को एक स्थान से दूसरे स्थान पर बिना वोल्टेज बदले भेज पाते हैं। 

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ट्रांसफॉर्मर का आविष्कार किसने किया

Michael Faraday

शायद आप सभी लोगों को पता ना हो कि ट्रांसफार्मर का आविष्कार किसने किया या फिर आपके मन में ट्रांसफार्मर के आविष्कारक के बारे में जानने की जिज्ञासा है तो हम आपको बता दें कि ट्रांसफॉर्मर का आविष्कार 1831 में ब्रिटेन में माइकल फैराडे के द्वारा किया गया था और इन्हीं को ट्रांसफॉर्मर का आविष्कारक माना जाता है।

ट्रांसफॉर्मर का इतिहास 

दोस्तों जब बिजली का आविष्कार किया गया और बिजली को हर जगह पर पहुंचाने का कार्य करना शुरू किया गया तब बिजली बराबर लोगों तक पहुंच नहीं पा रही थी और लोगों को बिजली में काफी ज्यादा समस्या आती थी जैसे कि बिजली का कम या फिर ज्यादा हो जाना बिजली का लोड सही से नहीं होना और बिजली काफी हाई पावर से आना।

तब बिजली को स्टेबल करने के लिए मतलब की लोगों तक बिजली को आसानी से पहुंचाया जा सके और बिजली का बैलेंस बना पर बना रहे तब ऐसे में ट्रांसफार्मर का आविष्कार किया गया और ट्रांसफार्मर के जरिए बिजली को कोर और फेज के जरिए स्टेबल किया गया। ट्रांसफार्मर के आ जाने से हर जगह पर बिजली का संचार बराबर बैलेंस में होने लगा और कहीं पर भी बिजली कम या फिर ज्यादा नहीं बल्कि एक बैलेंस में लोगों को मिलने लगी और इसीलिए ट्रांसफॉर्मर का आविष्कार किया गया।

ट्रांसफार्मर के प्रकार 

ट्रांसफार्मर के अंरचना और कार्य को समझने के बाद अब आपको ट्रांसफार्मर के प्रकार के बारे में समझना होगा। आज के समय में ट्रांसफार्मर दो प्रकार के होते है – 

Step Up Transformer 2. Step Down Transformer

Step Up Transformer – ऐसे ट्रांसफार्मर जो प्राइमरी और सेकेंडरी वाइंडिंग की मदद से वोल्टेज को सर्किट में बढ़ाने का कार्य करते है। अर्थात वह ट्रांसफार्मर जिसे सर्किट में जोड़ने पर वोल्टेज बढ़ता है उसे हम स्टेप अप ट्रांसफॉर्मर कहते हैं। 

Step Down Transformer– यह भी ट्रांसफार्मर का एक खास प्रकार होता है जिसमें प्राइमरी और सेकेंडरी वाइंडिंग की मदद से वोल्टेज को सर्किट में घटाने का कार्य किया जाता है। अर्थात वह ट्रांसफार्मर जिसे सर्किट में जोड़ने पर वोल्टेज घटता है उसे हम स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर कहते हैं। उम्मीद करते हैं ट्रांसफार्मर के प्रकार और उसके कार्य करने की प्रणाली को अब विस्तार पूर्वक समझ गए होंगे। 

कोर के हिसाब से ट्रांसफार्मर का प्रकार

चलिए दोस्तों आप हम आप सभी लोगों को आगे कोर के आधार पर ट्रांसफार्मर के प्रकार के बारे में जानकारी दे देते हैं और इसके लिए आप नीचे दी गई जानकारी को ध्यान से पढ़ें और कोर के आधार पर ट्रांसफार्मर के प्रकार को समझने की कोशिश करें। कोर के आधार पर भी ट्रांसफार्मर के दो प्रकार होते हैं और इसकी जानकारी कुछ इस प्रकार है।

1.शेल टाइप ट्रांसफार्मर

इस प्रकार के ट्रांसफार्मर को E तथा I आकर की पतियों को जोडकर बनाया जाता है इसमें तीन लिब पड़े होते है जिसमे से एक लिब पर दोनों वाइंडिंग की जाती है वाइंडिंग बीच वाले लिब पर की जाती है जिसका क्षेत्र दोनों साइड वालो से दो गुना होता है। इस प्रकार के ट्रांसफार्मर में कम वोल्टेज वाली वाइंडिंग कोर के नजदीक की जाती है और जब ज्यादा वोल्टेज वाली वाइंडिंग कम वोल्टेज वाली वाइंडिंग के ऊपर की जाती है तब बड़ी ही आसानी से इन्सुलेशन किया जा सकता है। इतना ही नहीं इसमें मेगनेटिक फ्लक्स के लिए दो रास्ते होते है और इसे हम कम वोल्टेज के लिए यूज कर सकते हैं।

2.कोर टाइप ट्रांसफार्मर

इस प्रकार के ट्रांसफार्मर को L आकार सिलिकोन स्टील की पतियों को इन्सुलेट करके जोड़ कर बनाया जाता है इसकी बनावट आयताकार रूप में होती है और इतना ही नहीं इसके 4 लिब होते हैं। जिनमे से दो आमने सामने वाले लिबो पर वाइंडिंग की जाती है इसमें मेगनेटिक फ्लक्स के लिए केवल एक ही रास्ता होता है और इसे हाई वोल्टेज के लिए यूज किया जा सकता है। 

फेज के हिसाब से ट्रांसफॉर्मर का प्रकार

चलिए अब हम आप सभी लोगों को फेज के आधार पर ट्रांसफार्मर कितने प्रकार के होते हैं उसके बारे में जानकारी दे देते हैं और हम आपको यही बताना चाहेंगे कि फेज के आधार पर भी ट्रांसफॉर्मर दो प्रकार के होते हैं और इसकी जानकारी अपने नीचे विस्तार से जानकारी दी हुई है और आप नीचे दी गई जानकारी को समझें।

1.सिंगल फेज ट्रांसफार्मर

एसी करंट सप्लाई करने के लिए इस प्रकार का ट्रांसफार्मर प्रयोग में लिया जाता है। इस प्रकार के ट्रांसफार्मर का कार्य सिंगल फेज की वोल्टेज को कम या ज्यादा करने का होता है। इसी प्रकार के ट्रांसफार्मर को सिंगल फेज ट्रांसफार्मर कहते हैं इसमें दो वाइंडिंग होती है प्राथमिक और द्वितीयक वाइंडिंग प्राथमिक वाइंडिंग में सिंगल फेज विद्युत सप्लाई दी जाती है और द्वितीयक वाइंडिंग में सिंगल फेज विद्युत सप्लाई स्टेप डाउन या स्टेप अप के रूप में ली जाती है।

2.थ्री फेज ट्रांसफार्मर

थ्री फेज AC. सप्लाई पर कार्य करने वाले ट्रांसफार्मर को थ्री फेज ट्रांसफार्मर कहते हैं इसमें तीन प्राथमिक तथा तीन द्वितीयक वाइंडिंग होती है यह सेल या कोर टाइप के होते हैं इनका उपयोग 66, 110, 132, 220, 440 KVA स्टेप अप करके ट्रांसमिट करने के लिए किया जाता है और जो डिस्ट्रीब्यूशन प्रणाली में जो ट्रांसफार्मर होते है वे थ्री फेज ट्रांसफार्मर होते हैं और आजकल थ्री फेज ट्रांसफार्मर का ही अधिक प्रयोग होता है। 

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ट्रांसफार्मर किस सिद्धांत पर काम करता है

ट्रांसफार्मर माइकल फराडे के द्वारा दिए गए फराडे लॉ ऑफ इंडक्शन के सिद्धांत पर काम करता है। भले ही फराडे को ट्रांसफार्मर को खोजने का श्रेय नहीं मिला मगर ट्रांसफार्मर के काम करने का सिद्धांत फराडे के बताए हुए नियम पर ही काम करता हैं। 

फराडे ने जो सिद्धांत बताया था उसके आधार पर वोल्टेज हमेशा मैग्नेटिक फील्ड में होने वाली कंपन पर निर्भर करता है दूसरी भाषा में voltage is directly proportional to magnetic flux यह सिद्धांत है फराडे के लॉ ऑफ इंडक्शन का जिसके आधार पर ट्रांसफार्मर काम करता हैं। 

इस सिद्धांत को समझने के लिए आप एक छोटा सा कार्य कर सकते है जिसमें एक कॉपर के तार को गोल-गोल मोड़कर बैटरी से जोड़ दें और उसके बाद एक चुंबक ले और तार के बीच में हिलाएं आप देखेंगे कि इस तार में अपने आप करंट आ गया है। 

यही बात माइकल फराडे ने अपने सिद्धांत में समझाने का प्रयास किया था जिसमें उन्होंने बताया था कि चुंबक में मैग्नेटिक फील्ड होता है जिस में परिवर्तन करने पर बिजली उत्पन्न होती है इसी सिद्धांत का इस्तेमाल करके ट्रांसफार्मर में दो वाइंड बनाए जाते है और बिजली को एक स्थान से दूसरे स्थान बिना वोल्टेज बदले भेजने के लिए इस नियम का पालन किया जाता है। 

ट्रांसफार्मर कैसे बनता है

ट्रांसफार्मर को बनाने के लिए तीन मुख्य पार्ट्स होते हैं, जिनका इस्तमाल किया जाता है।

  1. Primary Winding  2. Magnetic Core 3. Secondary Winding
  • Primary Winding

अगर आपको ट्रांसफार्मर में बिजली उत्पन करना है तो primary winding काम आती है। यही वो तार होता है जो किसी बजली के सोर्स से जुड़ा होता है और बिजली पैदा करने का काम करता हैं।

  • Magnetic core

जैसा की हमने आपको ट्रांसफार्मर के सिद्धांत में बताया था कि बिजली पैदा करने के लिए मैग्नेटिक फ्लक्स में छेड़छाड़ होना आवश्यक है मैग्नेटिक फ्लक्स बनाने के लिए ही इस मैग्नेटिक कोर का इस्तेमाल किया जाता है। यह एक closed मैग्नेटिस circuit क्रिएट करता हैं। 

  • Secondary Winding

ट्रांसफार्मर में जो बिजली बनी है उसको आगे बढ़ने के लिए इस विंडिंग का इस्तेमाल किया जाता है। Primary Winding और मैग्नेटिक कोर के मदद से ट्रांसफार्मर में बिजली उत्पन्न होती है जिससे उपयोगिता अनुसार आगे बढ़ाने के लिए सेकेंडरी वाइंडिंग का यूज किया जाता हैं। 

इस प्रकार इन तीनों पार्ट्स को सही से जोड़ने पर ट्रांसफार्मर काम करता है और मैग्नेटिक फ्लक्स के जरिए विद्युत बनाता है जिस विद्युत को आगे भेजा जाता है ट्रांसफार्मर में जो विद्युत उत्पन्न होता है उससे आगे भेजने में फ्रीक्वेंसी या पावर में कोई भी बदलाव नहीं आता हम किसी सर्किट में ट्रांसफार्मर को जोड़ देते हैं ताकि उस सर्किट के वोल्टेज में जरूरत अनुसार वोल्टेज का परिवर्तन हो मगर करंट की मात्रा, फ्रीक्वेंसी और पावर में किसी भी प्रकार का परिवर्तन न हो। 

Transformer in Hindi से सम्बन्धित FAQ

Q. ट्रांसफार्मर क्या है?

Ans. ट्रांसफार्मर एक विद्युत यंत्र है जिसका इस्तेमाल करके हम सर्किट में वोल्टेज को घटाने या बढ़ाने का कार्य करते है वह भी सर्किट में बिना फ्रीक्वेंसी और पावर को बदलें।

Q. ट्रांसफार्मर का आविष्कार किसने किया?

Ans. ट्रांसफार्मर का आविष्कार विलियम स्टेनले ने 1885 में किया।

Q. ट्रांसफार्मर की खोज कब हुई?

ट्रांसफार्मर की खोज 1831 में हुई थी।

Q. ट्रांसफार्मर कितने प्रकार के होते हैं?

ट्रांसफार्मर दो प्रकार के होते हैं – स्टेप अप ट्रांसफॉर्मर और स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर।

Q. स्टेप अप ट्रांसफॉर्मर क्या करता है?

स्टेप अप ट्रांसफॉर्मर किसी सर्किट में वोल्टेज को बढ़ाने का कार्य करता है।

Q. ट्रांसफार्मर का इस्तमाल क्यों करते हैं?

ट्रांसफार्मर का आविष्कार हम किसी सर्किट में फ्रीक्वेंसी और पावर में बिना कोई बदलाव की है वोल्टेज को घटाने या बढ़ाने के लिए करते हैं।

Q. ट्रांसफार्मर क्यों लगाए जाते हैं?

बिजली का बैलेंस बराबर रखने के लिए एवं बिजली को आवश्यकता पड़ने पर कम या फिर ज्यादा करने के लिए आप ट्रांसफार्मर लगवा सकते हो।

Q. ट्रांसफार्मर कितने केवी का होता है? 

आप ट्रांसफार्मर को अपनी आवश्यकतानुसार केवी में बनवा सकते हो परंतु एक समान में ट्रांसफार्मर लगभग 1000 केवी तक का हो सकता है। 

निष्कर्ष

आज की हमने अपने इस लेख में आप सभी लोगों को Transformer in Hindi के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान की हुई है। हमें उम्मीद है कि हमारे द्वारा दी गई आज की जानकारी आपके लिए काफी ज्यादा हेल्पफुल और यूज़फुल रही होगी। अगर आपके मन में हमारे आज के इस लेख से संबंधित कोई भी सवाल या फिर कोई भी सुझाव है।

तो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हो। अगर आपको हमारा आज का यह लेख जरा सा भी पसंद आया हो तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ और अपने सभी सोशल मीडिया पर शेयर करना ना भूले ताकि आप के माध्यम से अन्य लोगों को भी इस विषय पर विस्तार से जानकारी मिल सके। हमारे इस लेख को शुरू से अंत तक पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद  और आपका दिन शुभ हो।

3 thoughts on “Transformer in Hindi – ट्रांसफार्मर कैसे बनाया जाता है”

  1. यदि 11kv ट्रांसफार्मर की 11kv साइड की सप्लाई को हटा दिया जाये और उस ट्रांसफार्मर के LT साइड LT सप्लाई दी जाएं तो क्या 11kv साइड सप्लाई आएगी या नहीं ?

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