Train को हिंदी में क्या कहते हैं

दोस्तों आपने ट्रेन की यात्रा तो जरूर की होगी परंतु क्या आपको मालूम है कि आखिर train ko hindi mein kya kahate hain शायद आपको इसका जवाब मालूम ना हो और यदि ऐसा है तो आपको निराश होने की भी कोई जरूरत नहीं है क्योंकि आज हम आपको किसी प्रश्न का उत्तर अपने लेख के माध्यम से देने वाले हैं।

यात्रा करने के लिए आज के समय में जल मार्ग, सड़क मार्ग और वायु मार्ग भी है और इन तीनों जगहों पर चलने के लिए अलग-अलग वाहन भी है परंतु दुनिया में सबसे ज्यादा अगर किसी चीज का यात्रा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है तो वह रेल। रेल हमारे देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी चलाई जाती है। 

दोस्तों रेल से संबंधित हमने जो इस लेख में जवाब दिया है वही प्रश्न कभी-कभी कई सारे कंपीटेटिव की परीक्षाओं में भी पूछे जाते हैं और उस समय अचानक से आपको इसका जवाब नहीं मालूम होता इसीलिए हम चाहते हैं कि आप लेख को पूरा जरूर पढ़ें और आज के इस जानकारी को अच्छे से समझे।

ट्रेन को हिंदी में क्या कहते है

दोस्तों जैसा कि आप जानते होंगे कि रेल या फिर यूं कहें कि ट्रेन लोहे की पटरी पर चलती है और इसका रास्ता लोहे की पटरी ही होता है इसीलिए ट्रेन को हिंदी में लोह पथ गामिनी कहा जाता है। इसका मतलब होता है लोहे के पथ पर चलने वाला वाहन।

हालांकि अब आधुनिक जमाने में नई ट्रेन आ चुकी है जिसका नाम भी अलग-अलग है जैसे कि बुलेट ट्रेन, मेट्रो ट्रेन, हाइपर ट्रेन आदि परंतु इनका मतलब अलग-अलग है। आज के जमाने की सबसे ज्यादा तेज गति से चलने वाली हाइपर ट्रेन है जो कि अभी सीमित देशों में ही चलाई जा रही है।

ट्रेन का इतिहास

हम आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ट्रेन का इतिहास काफी समय चुराना है और ट्रेन के अविष्कार की शुरूआत यूनाइटेड किंगडम के एक इंजीनियर रिचर्ड ट्रिवेथीक ने 21 फरवरी 1804 को भाप से चलने वाले इंजन का आविष्कार करने की कोशिश की परंतु वह ज्यादा अपने इस अविष्कार में सफल नहीं हो पाए।

सभी से कई सारे इंजीनियर में ट्रेन के आविष्कार के पीछे अपना बहुमूल्य योगदान दिया परंतु 27 दिसंबर 1825 का दिन एक ऐसा देश है जो कि इंग्लैंड की एक इंजीनियर George Stephenson ने सफलतापूर्वक ट्रेन का सफलतापूर्वक अविष्कार पूरा कर लिया।

ट्रेन का आविष्कार हो जाने के बाद भी हमारे देश में ट्रेन एक लंबे वक्त के बाद आई और ब्रिटिश शासन का कब लॉर्ड डलहौजी ने 16 अप्रैल 1853 को भारत में पहली बार ट्रेन की शुरुआत की गई और पहली बार मुंबई से थाणे के बीच ट्रेन चलाई गई। भारत की प्रथम रेल यात्रा में करीब 400 यात्रियों को बैठा कर सफलतापूर्वक परीक्षण पूरा किया गया।

वर्तमान में ट्रेन कितनी जरूरी है

अगर बात की जाएगी वर्तमान समय में रेल कितनी जरूरी है तो आप खुद सोच कर देखें कि आपके लिए रेल यात्रा कितनी जरूरी है। अपने देश में लंबी दूरी की यात्रा करने के लिए सबसे ज्यादा किफायती अगर कोई यात्रा है तो वह सिर्फ और सिर्फ रेल यात्रा की मानी जाती है। आप एक स्लीपर क्लास में मात्र ₹650 से ₹700 के बीच में लगभग 1500 से भी अधिक किलोमीटर की यात्रा को सुविधाजनक तरीके से कर सकते हैं।

अब आप खुद इस बात का अंदाजा लगा सकते हो कि यदि किसी यात्रा को किसी दूसरे जरिए से किया जाए जैसे कि वायु मार्ग से अगर इस यात्रा को किया जाए या फिर रोड मार्केट से 1500 किलोमीटर की यात्रा को किया जाए तो आपके लिए कितना महंगा और असुरक्षित होगा। वर्तमान समय में रेल बहुत ही ज्यादा जरूरी है क्योंकि कहीं ना कहीं रेल बड़ी संख्या में सुरक्षित ढंग से और आसानी से यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने में सफल रहती है।

ट्रेन के फायदे

चलिए अब हम आप सभी लोगों को इसी लेख में आगे की ओर बढ़ कर के ट्रेन के कुछ अपने बेहतरीन फायदे के बारे में जानकारी देते हैं और आप इसके लिए नीचे दी गई जानकारी को ध्यान से जरूर पढ़ें।

  • अगर बात की जाएगी ट्रेन का सबसे बड़ा फायदा क्या है तो लंबी दूरी के लिए रेल यात्रा सबसे सुरक्षित और आसान मानी जाती है।
  • अपने देश में कहीं पर भी यात्रा करने के लिए रेल यात्रा सबसे कम खर्च में की जा सकती है।
  • छोटी या फिर लंबी दूरी के लिए भी यात्रा करना ट्रेन में काफी आसान माना जाता है।
  • रेल परिवहन सड़क परिवहन की तुलना में काफी किफायती है। सड़क परिवहन की तुलना में इसमें 6 गुना कम ऊर्जा खर्च होती है और चार गुना अधिक किफायती है।
  • रेल परिवहन सड़क परिवहन की तुलना में काफी किफायती है। सड़क परिवहन की तुलना में इसमें 6 गुना कम ऊर्जा खर्च होती है और चार गुना अधिक किफायती है।

ट्रेन के नुकसान

चलिए अब हम आप सभी लोगों को आगे अपनी इस लेख के माध्यम से ट्रेन के कुछ अपने महत्वपूर्ण नुकसान के बारे में भी बता देते हैं जी हां आपने बिल्कुल सही पड़ा जिस चीज का अपना बहुत फायदा होता है उसका अपना कुछ नुकसान नहीं होता है इसीलिए चलिए अब आपको ट्रेन के कुछ नुकसान के बारे में जानकारी देते हैं और आप इसके लिए नीचे दी गई जानकारी को ध्यान से अवश्य पढ़ें।

  • यदि आपको जल्द से जल्द अपने डेस्टिनेशन पर पहुंचना है तो हो सकता है आपको रेल यात्रा इसके लिए सही नहीं हो क्योंकि ट्रेन कभी भी अपने निर्धारित समय पर अपने डेस्टिनेशन पर नहीं पहुंचती।
  • अगर साफ सफाई की बात करें तो जनसंख्या वृद्धि की वजह से और सबसे ज्यादा रेल में यात्रा करने वाले की संख्या की वजह से रेल में साफ सफाई नहीं रहती।
  • आतंकी और चोरी चकारी के दृष्टिकोण से देखा जाए तो यात्रा सुरक्षित नहीं है।
  • यदि आपको रेल यात्रा करनी हो तो आपको कंफर्म टिकट का मिलना काफी ज्यादा आसान नहीं होता।
  • अगर आपको 10 से 15 दिन के अंदर कहीं भी लंबी यात्रा करनी है और आप रेल यात्रा करना पसंद करते हो तो आपको करीब 1 महीने पहले से ही या फिर कम से कम 20 दिन पहले से ही टिकट लेना पड़ता है ताकि आपकी टिकट कंफर्म हो सके।
  • यदि आपको रेल यात्रा करना है तो आपको काउंटर पर जाकर लंबी-लंबी लाइनों में खड़े होकर टिकट कटवाना पड़ता है और अगर आप ऑनलाइन इसी चीज को करते हो तो इसमें काफी ज्यादा खर्चा आ जाता है।

ट्रेन के हिंदी के बारे में जानने के लिए पूछे जाने वाले कुछ प्रश्न

यहां पर हम ने ट्रेन को हिंदी में क्या कहते हैं से संबंधित आप लोगों द्वारा पूछे जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर दिए हुए हैं।

Q. रेलवे स्टेशन को हिंदी में क्या कहते हैं?

रेलवे स्टेशन को हिंदी में भक भक अड्डा कहा जाता है।

Q. भारत में ट्रेन ड्राइवर को क्या कहा जाता है?

एक रेलमार्ग इंजीनियर, लोकोमोटिव इंजीनियर, ट्रेन ऑपरेटर, ट्रेन ड्राइवर या इंजन ड्राइवर वह व्यक्ति है जो रेलमार्ग पर एक ट्रेन को चलाता है इन्हीं सभी शब्दों को भारत में ट्रेन ड्राइवर को कहा जाता है।

Q. ट्रेन को कितने लोग चलाते हैं?

ट्रेन को लगभग 2 लोग चलाते हैं। एक ड्राइवर और दूसरा को-ड्राइवर होता है।

Q. ट्रेन के गार्ड क्या करते हैं?

प्रत्येक ट्रेन में गार्ड रखा जाता है और गार्ड का कार्य ट्रेन और यात्रियों की सुरक्षा एवं सुगमता को ध्यान में रखना होता है।

निष्कर्ष

आज के इस महत्वपूर्ण लेख के माध्यम से Train ko hindi mein kya kahate hain के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की है और हमें उम्मीद है कि आपको अब आसानी से समझ में आ गया होगा कि ट्रेन को हिंदी में आखिर कहते क्या है।

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