Fundamental rights in hindi |मूल अधिकार क्या है

Fundamental rights in hindi

मूल अधिकार एक ऐसा शब्द जो हमे बताता की देश के संविधान में हमारे क्या क्या अधिकार है और उन अधिकारों के तहत हमे किन किन चीज़ों का फायदा मिलता हैं। अगर हम देश संविधान की बात करे तो देश के संविधान में देश के नागरिकों के लिए कुछ अधिकार दिए बताये हुए है।

अगर आप भी इन अधिकारों के बारे में जानना चाहते हैं हमारे इस लेख Fundamental rights in hindi को आखिरी तक पढ़े ताकि आपको इसकी पूरी जानकारी मिल सके। भारत के संविधान मे बताये गये मूल अधिकारों के बारे मे जानने से पहले हमे भारत के संविधान को समझना काफी जरूरी है।

भारत का संविधान क्या है ? ( What is the Constitution of india ? ) 

भारत का संविधान – भारत के कानून ओर देश के नीतियों को सबसे बडा विधान है। भारत मे संविधान को 26 नवम्बर 1949 को संविधान कमेटी द्वारा पारित किया गया था ओर 26 नवम्बर 1950 को देश मे संविधान का लागू किया गया था। आप ओर हम हर वर्ष 26 जनवरी को देश को गणतंत्र दिवस के रूप मनाया जाता है।

भारत मे बाबा साहब अंबेडकर ( डाॅ भीमराव अम्बेडकर ) को संविधान का निर्माता कहा जाता है। भारत का संविधान आपको बता दे की यह विश्व का सबसे बडा व लम्बा लिखित संविधान है। भारत के संविधान मे देश के नागरिकों के लिए कई कत्वर्य, मूल अधिकार इत्यादि बताये गये है। वर्तमान मे संविधान मे 470 अनुच्छेद, 22 भाग ओर 12 अनुसूचियां है जिस मे संविधान के बारे मे बताया गया है।

मूल अधिकार ( Fundamental Rights in hindi )

अधिकार ( Rights ) – वे अधिकार जो एक आम नागरिक के पास होते है। कुछ अधिकार नागरिकों के वंशवादी होते है कुछ अधिकार नागरिकों के पास वो भी होते है जो उन्हे देश के विधि द्वारा ओर देश के संविधान द्वारा प्रदान किये जाते है। हम हमारे इस लेख मे उन मूल अधिकारों के बारे मे आपको बता रहे है जो देश के संविधान मे नागरिकों को दिये गये है।

भारतीय संविधान मे देश के नागरिकों के कुल 7 मूल अधिकार है जिसमे देश के आम नागरिकों को कही न कही फायदा मिलता है। अगर इस मूल अधिकार के ढाचे की बात करे तो यह संयुक्त राज्य अमेरिका से लिये गये है।

भारत के संविधान मे मूल अधिकारों का वर्णन भाग 3 मे अनुच्छेद 12 से अनुच्छेद 35 तक बताये गये है। भारत के संविधान मे भाग 3 को ‘‘ भारत का मैग्नार्टा ’’ भी कहा जाता है।

समानता का अधिकार ( Right to Euqality )  –

संविधान के भाग 3 के अनुच्छेद 12 से अनुच्छेद 15 मे भारत मे नागरिकों के लिए समानता के अधिकार के बारे मे बताया गया है। भारत के संविधान मे इस अधिकार के माध्यम से देश के नागरिकों के लिए क्या क्या समानताएं है उनके बारे मे बताया गया है।

भारत के नागरिकों के लिए समान कानूनी स्वतंत्रता, समान धार्मिक स्वतंत्रता, समान सांस्कृतिक का अधिकारी शामिल है। देश के नागरिकों को यह अधिकार सभी प्रकार की समानता प्रदान करता है जैसे बोलने की समानता, अपने धर्म व अन्य धर्म के प्रति समानता इत्यादि के बारे मे बताया गया है।

india के संविधान का अनुच्छेद 14 यह कहता है की देश मे कानून की नजर मे सब बराबर है इसलिए सबको समानता का अधिकार दिया जाता है। संविधान मे अनुच्छेद 14, 15, 16, 17 ओर 18 मे समान कानून के बारे मे भी बताया गया है

जिसमे लोगो को देश की किसी भी परिस्थिति मे समान हक मिलना चाहिए, के बारे मे बताया गया है। इस अधिकार के तहत देश के किसी भी जाति, धर्म, महिला, पुरूष इत्यादि सभी को एक समान माना है। रोज़गार की समानता, रोज़गार की समानता इत्यादि भी इसी अधिकार का हिस्सा है।

स्वतंत्रता का अधिकार ( Right to freedom )

देश के संविधान मे नागरिकों के लिए संविधान क भाग 3 मे नागरिकों के लिए स्वतंत्रता के अधिकार के बारे मे भी बताया गया है। संविधान के भाग 3 के अनुच्छेद 19 से अनुच्छेद 22 तक देश के नागरिकों के लिए स्वतंत्रता के अधिकारों के बारे मे वर्णन किया गया है।

भारत के नागरिकों को कई तरह स्वतंत्रता के अधिकार है जैसे बोलने की स्वतंत्रता, घुमने की स्वतंत्रता, अपनी बात रखने का अधिकार इत्यादि। संविधान के इस भाग को मैग्नार्टा कहा जाता है इस का कारण यही है।

इस अधिकार मे कई प्रकार की स्वतंत्रताओ के बारे मे बताया गया है जैसे नागरिकों के घूमने की स्वतंत्रता, निवास की स्वतंत्रता, शांतिपूर्ण सम्मेलन की स्वतंत्रता, संघ निर्माण की स्वतंत्रता, भ्रमण की स्वत्रंता, व्यवसाय की स्वतंत्रता इत्यादि। इस मूल अधिकार के 44 वे संवैधानिक संसोधन मे एक बडा अपडेट किया गया जो की सम्पति की स्वतंत्रता के बारे है।

इसमे नागरिकों द्वारा सम्पति को रखने व इसे क्रय – विक्रय करने के बारे मे बताया गया है। स्वतंत्रता के अधिकार मे विचारों की अभिव्यक्ति के बारे मे भी वर्णन किया गया है। इसमे नागरिक किसी भी मंच पर अपने विचार रख सकता है एवं इसके बारे मे विचार कर सकता है।

शोषण के विरूध अधिकार ( Right Against Exploitation )

संविधान के भाग 3 के अनुच्छेद 23 से अनुच्छेद 24 मे शोषण के विरूध अधिकारों के बारे मे बताया गया है। कई बार ऐसा देखा गया है कि देश मे स्कूलों मे काॅलेजो मे या बडी – बडी फ़ैक्टरियों मे कार्मिको के साथ काफी शोषण होता है।

कार्मिको के साथ सामाजिक व असामाजिक प्रकार से भी शोषण होता है। इस प्रकार की समस्या से निपटारे के लिए देश के नागरिकों को संविधान के भाग 3 मे शोषण के विरूध अधिकार को अस्तित्व मे लाया गया है। देश मे शोषण के विरूध लडने के लिए कई तरह के कानून बने हुए है जो की देश मे नागरिकों को मदद करते है

शोषण के विरूध लडने मे। इस मूल अधिकार मे यह भी बताया गया है की अगर कोई नागरिक दूसरे किसी बच्चे से बालश्रम करवाना है या उसका शोषण करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही अमल मे लाई जायेगी।

धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार ( Right to religious freedom )  –

भारत देश को विविधताओ से भरा देश भी कहते है। अखंडता मे एकता इस देश की मुख्य पहचान है। हमारे देश मे अलग – अलग संस्कृति एवं अलग – अलग धर्म के लोग रहते है। संविधान के भाग 3 के मूल अधिकारों मे अनुच्छेद 25 से अनुच्छेद 28 के अंतर्गत नागरिकों को धर्म की समानता का अधिकार प्रदान करता है।

इस मूल अधिकार के तहत देश का हर नागरिक अपने धर्म के प्रति आस्था रखने मे स्वतंत्र होता है। अगर कोई हिन्दू है तो ओ वह हिन्दु धर्म के प्रति अपनी आस्था रखने मे स्वतंत्र है, अगर कोई मुस्लिम है तो व इस्लाम धर्म के प्रति अपनी आस्था रखने मे स्वतंत्र है। इसी प्रकार की इस मूल अधिकार मे इस स्वतंत्रता के बारे मे बताया गया है। अपने किसी भी धर्म के प्रति प्रबंधन करने के लिए देश का हर नागरिक स्वतंत्र है।

संस्कृति ओर शिक्षा संबंधित अधिकार ( Right to Cluture and Education )  –

भारत के संविधान के भाग 3 के अनुच्छेद 29 से अनुच्छेद 30 भारत के नागरिकों के लिए संस्कृति एवं शिक्षा संबंधित अधिकारों के बारे मे बताया गया है। इस मूल अधिकार मे यह भी बताया गया है की अगर देश का कोई भी नागरिक शिक्षा के वंचित रहता है तो उसे पूर्ण रूप से अच्छी शिक्षा दी जाये।

इस मौलिक अधिकार के अनुच्छेद 29 मे देश के अल्पसंख्यको के हितों के बारे मे बताया गया है। इसमे अल्पसंख्यको की भाषा, लिपि एवं संस्कृति के बारे मे बताया गया है।

इस मूल अधिकार के अनुच्छेद 30 शिक्षा संबंधित अधिकारों के बारे मे बताया गया है जिसमे देश के नागरिकों को शिक्षा प्राप्त करना अनिवार्य बताया गया है। शिक्षा के अधिकार के अंतर्गत कक्षा 1 से कक्षा 8 तक के छात्रों को मुफ्त शिक्षा देने का भी प्रावधान है।

सवैधानिक अधिकार ( Constitutional right )

देश के संविधान के भाग के अनुच्छेद 32 मे नागरिको के सवैधानिक अधिकारों के बारे मे बताया गया है। इस मूल अधिकार को संवैधानिक उपचारों का अधिकार भी कहा जाता है। इस अधिकार को संविधान निर्माता डाॅ भीमराव अंबेडकर ने संविधान की आत्मा कहा है।

इस मूल अधिकार मे पांच तरह की रिटो के निपटारे की अपील सर्वोच्च न्यायालय मे भी की जा सकती है। वे 5 प्रकार की रीट बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध लेख, उत्पे्रषण, अधिकार पृच्छा लेख इत्यादि प्रकार की रिटो का निपटारे हेतु सर्वोच्च न्यायालय मे आम नागरिकों द्वारा अपील की जा  सकती है।

सूचना का अधिकार ( Right to information )

देश की प्रशासनिक व्यवस्था एवं कानूनी व्यवस्था मे सूधार लाने के लिए 2005 मे एक संविधान संसोधन के माध्यम से इस अधिकार को अस्तित्व मे लाया गया है। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य व्यवस्था मे पारदर्शिता लाना एवं भ्रष्टाचार पर रोक लगाना इत्यादि मुख्य है।

भारतीय संविधान मे मूल अधिकारो को महत्व ( Importance of Fundamental rights in Indian constitution ) 

  • मूल अधिकारों के तहत देश मे एक लोकतांत्रिक व्यवस्था स्थापित करना है।
  • मूल अधिकार वैयक्ति स्वतंत्रता के रक्षक भी है, नागरिकों की स्वतंत्रता एवं उनके हितों की रक्षा करता है।
  • देश मे विधि द्वारा शासन की स्थापना करना भी इसका उद्देश्य है।
  • यह नागरिकों के हितों की रक्षा करता है।
  • मूल अधिकारों की एक मुख्य बात यह भी है कि देश मे राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान अनुच्छेद 20 व 21 के अलावा बाकि मूल अधिकारों को निलंबित कर सकता है।

निष्कर्ष ( Conclusion ) 

संविधान के भाग 3 मे नागरिकों हेतु 7 मूल अधिकारों का वर्णन है। इन अधिकारों के बारे मे इस भाग 3 के अनुच्छेद 19 से अनुच्छेद 35 के मध्य इनका वर्णन है।

india मे नागरिकों को सशक्त बनाना एवं प्रशासनिक व्यवस्थाओ म सुधार लाने हेतु 2005 मे सूचना का अधिकार को अस्तित्व मे लाया गया था जो वर्तमान मे लागू है। देश मे नागरिको के लिए कुल 7 मूल अधिकारो का वर्णन भारतीय संविधान के अन्तर्गत बताया गया है।

भारत की आजादी के समय देश मे डाॅ भीमराम अंबेडकर साहब द्वारा संविधान का निर्माण किया गया है। भारत मे संविधान को 26 नवम्बर 1949 को पारित किया था जिसे देश मे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया है।

मूल अधिकारों की एक मुख्य बात यह भी है कि देश मे राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान अनुच्छेद 20 व 21 के अलावा बाकि मूल अधिकारों को निलंबित कर सकता है। हमारे इस लेख Fundamental rights in hindi को प्रतियोगी परीक्षाओ को ध्यान मे रखते हुए लिखा गया है ताकि वि़द्यार्थियों को भी इस लेख मे मदद मिल सके।

FAQ

प्रश्न 1 – मूल अधिकार क्या है ?

उत्तर – वे अधिकार जो एक आम नागरिक के पास होते है। कुछ अधिकार नागरिकों के वंशवादी होते है कुछ अधिकार नागरिकों के पास वो भी होते है जो उन्हे देश के विधि द्वारा ओर देश के संविधान द्वारा प्रदान किये जाते है। हम हमारे इस लेख मे उन मूल अधिकारों के बारे मे आपको बता रहे है जो देश के संविधान मे नागरिकों को दिये गये है।

प्रश्न 2 – भारतीय संविधान मे कितने भाग है?

उत्तर – भारतीय संविधान मे कुल 12 भाग है जिसमे से भाग 3 नागरिकों के मूल अधिकारों के बारे मे बताया गया है।

प्रश्न 3 – समानता का अधिकार क्या है ?

उत्तर – भारत का संविधान के भाग 3 के अनुच्छेद 12 से अनुच्छेद 15 मे भारत मे नागरिकों के लिए समानता के अधिकार के बारे मे बताया गया है। भारत के संविधान मे इस अधिकार के माध्यम से देश के नागरिकों के लिए क्या क्या समानताएं है उनके बारे मे बताया गया है। भारत के संविधान का अनुच्छेद 14 यह कहता है की देश मे कानून की नजर मे सब बराबर है इसलिए सबको समानता का अधिकार दिया जाता है।

प्रश्न 4 – धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार क्या है ?

उत्तर – हमारे देश मे अलग – अलग संस्कृति एवं अलग – अलग धर्म के लोग रहते है। संविधान के भाग 3 के मूल अधिकारों मे अनुच्छेद 25 से अनुच्छेद 28 के अंतर्गत नागरिकों को धर्म की समानता का अधिकार प्रदान करता है। इस मूल अधिकार के तहत देश का हर नागरिक अपने धर्म के प्रति आस्था रखने मे स्वतंत्र होता है।

प्रश्न 5 – सूचना का अधिकार क्या है ?

उत्तर – देश की प्रशासनिक व्यवस्था एवं कानूनी व्यवस्था मे सुधार लाने के लिए 2005 मे एक संविधान संसोधन के माध्यम से इस अधिकार को अस्तित्व मे लाया गया है। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य व्यवस्था मे पारदर्शिता लाना एवं भ्रष्टाचार पर रोक लगाना इत्यादि मुख्य है।

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